मित्र साथ हो तो आसान हो जाती हैं मुश्किलें

मित्रता की महत्ता क्या है इसका उदाहरण श्रीराम और सुग्रीव की मैत्री से बेहतर नहीं मिलता। अस्तित्व को बचाए रखने के लिए न केवल समुदाय बल्कि राष्ट्रों में भी मंत्री की मिसाल मिलती है। प्राचीन काल में ही नहीं आधुनिक काल में भी मैत्री संबंध कायम कर कई देशों ने न केवल परस्पर विकास किया बल्कि जरूरत पड़ने पर एक दूसरे की मदद भी की। राष्ट्र, समुदाय और कबीलों से होते हुए बात जब मनुष्यों की आती है तो मित्रता के कई रंग हमें देखने को मिलते हैं। एलविस प्रेसले ने कहीं कहा है कि अकेले व्यक्ति के जीवन में कोई रंग नहीं होता।


सत्य है कि जिसके जीवन में कोई सच्चा मित्र नहीं वह बदकिस्मत है। यों तो हर व्यक्ति को अपने जीवन की लडाई अकेले लडनी पड़ती है। मगर कोई सच्चा दोस्त साथ हो तो कोई भी संघर्ष आसान हो जाता है। अकेले होने का अहसास नहीं खटकता न ही निराशा घेरती है


हालिया सर्व में एक महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया है कि जिनके दोस्त नहीं होने से होते वे अवसाद के शिकार हो जाते हैं। यहां तक कि ऐसे लोग हृदय संबंधी बीमारियां की चपेट में आकर हर साल मौत के मुंह में चले जाते हैं। मनोवैज्ञानिकों का भी मानना है कि जीवन में एक सच्चा दोस्त का होना जरूरी है। परिवार, पत्नी और बच्चे होने के बावजूद एक ऐसा दोस्त जिससे आप अपने दुरूख.सुख कह सकें। कोई पीड़ा साल रही हो उसे अपने मित्र से कह कर मन के बोझ को हल्का किया जा सकता है। वैसे भी सच्चे मित्र की पहचान संकट के समय ही होती है। महाकवि तुलसीदास ने ठीक ही किया है. 'आपत काल परखिए चारि, धर्म धीरज, मित्र अरू नारी।' '


दरअसल स्वार्थ से कोसों दूर रहने वाला शुभचिंतक ही आपका सच्चा मित्र है जो जरूरत के समय आपको संभाल ले या आपकी बेहतरी के लए चिंता करें। राजनीति में तो दोस्तों की बेहद जरूरत होती है। अब तो मित्र दलों का गठबंधन बना कर सरकार तक चलाई जा रही है। इससे जाहिर है कि मैत्री का किस कदर महत्व हैयह सही है कि राजनीति में कई दुश्मन होते हैं। मगर दोस्त न हो तो राजनीतिक शतरंज पर हर कदम पर मात ही मिलती है। न केवल भारतीय संदर्भ में बल्कि वैश्विक परिपेक्ष्य में भी हमें यह दिखाई देता है।


                                                   


दोस्ती के लिए सामाजिक होना अनिवार्य है। अलग थलग रहने वालों और एकाकी पसंद लोगों के मित्र अमूमन बहुत कम ही होते हैं। यह उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता। समय गुजरने के साथ ऐसे लोग अवसाद से घिर जाते हैं। कई कलाकार भी इस स्थित मैिं तभी आए जब उन्होंने खुद को सबसे अलग कर लिया। लेकिन इस बात से कैसे इंकार किया जा सकता है कि कोई भी रचना प्रक्रिया जीवन के अनुभवों को बांटने से ही पूरी होती है। अनुभवों को बांट कर ही कोई रचनाकार चाहे वह लेखक हो या कलाकार सृजन कर पाता है। ऐस में सच्चे मित्र की आवश्यकता होती है जो न केवल आपकी कद्र करे बल्कि कमियों को आलोचक बन कर दूर भी करें।


सृजनशील व्यक्ति भी भावुक और संवदेनशील होते हैं। सृजन की खुशी निश्चित तौर से दोस्तों के बीच बांट कर ही मिलती हैं क्योंकि वे ही उनके कार्यों का महत्व समझते हैं। जब वे उनकी कद्र करते हैं तो रचनाकार का अपने काम के प्रति भरोसा बढ़ता है और वे बेहतर करने के लिए जट जाते हैं।


परदेस में रहने के दौरान मित्रों का तो और महत्व बढ़ जाता है। पारजना आर रिश्तेदार रहने के दौरान न केवल छोटी. मोटी परेशानी बल्कि किसी बड़ी समस्या से निपटने में दोस्त की सहायता करते हैं। ऐसे दोस्त के लिए बेशक पार्टी न करें मगर हो सके तो उसके साथ घूमने जाएं। संभव हो तो साल में एक बार पर्यटन के लिए भी निकाला जा सकता है।


मीडिया से जुड़ी श्वेता बताती है कि मेरे लिए दोस्तों का बहुत महत्व है। न केवल भावनात्मक स्तर पर बल्कि व्यावसायिक स्तर पर भी।' सच्चे दोस्त कई बार गलत फैसला लेने से बचाते हैं। तनाव और अकेलापन दूर कर वे हमारी आंतरिक शक्ति का स्रोत भी बनते हैं। दोस्ती की शुरूआत बचपन से होती है। इसलिए बच्चों को घर के आसपास के हमजोली बच्चों और स्कूल के साथियों से घुलने-मिलने देना चाहिए। ऐसा न करने से कई बच्चे अंतरमुखी हो जाते हैं और हर वक्त उदास रहते हैं। ऐसे बच्चे आगे चलकर जिद्दी भी हो जाते


वक्त के साथ कई दोस्त बिछड़ जाते हैं। कुछ याद रह जाते हैं। स्कूल खत्म होने के बाद कालेज या व्यावसायिक प्रशिक्षण के दौरान भी कई मित्र बनते है। फिर व्यवसाय में सरकारी व निजी क्षेत्र की नौकरी में जहां कई प्रतिद्वंद्वी मिलते वहीं एक दो सच्चे दोस्त भी मिलते हैं जिनसे जीवन भर की मित्रता रहती है। ये वो मित्र होते जो आपकी नाकामी पर न तो हंसते है और न ही कामयाबी पर आपसे ईष्र्या या द्वेष रखते हैं। ऐसी भावना वाला व्यक्ति ही सच्चा मित्र होता है। ऐसे दोस्त की पहचान करना सीखें।


अनुभव आपके सच्चे मित्र से जरूर मिला देगा। हिंदी सिनेमा ने दोस्ती पर कई फिल्में दी हैं। इनमें 'दोस्ती', 'आनंद' और 'नमक हराम' स्तरीय फिल्में हैं, जिन्हें हर भारतीय को देखना चाहिए। वाकई दोस्त न हों तो जीवन का हर रंग फीका है। अकेलेपन को ही साथी बना चुके लोगों को अपनी दुनिया से बाहर निकलना चाहिए क्योंकि अच्छे मित्रों का साथ पाकर न केवल खुश रहेंगे बल्कि मन के किसी कोने में सुप्त हो गई रश्मियों को जगा कर जिंदगी में भी नया उत्साह भर सकेंगे। तो बढाइए दोस्ती का हाथ


Popular posts
दिल्ली भाजपा उम्मीदवार सरदार राजा इकबाल सिंह और उप महापौर श्री जय भगवान यादव ने अपना नामांकन दाखिल किया ।
चित्र
जनता का संघर्ष के सम्पादक ने दिल्ली सरकार के केन्द्रीय मंत्री मन्जिदर सिहं सिरसा से उनके कार्यलय में मुलाकात की ।
चित्र
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दाऊदी बोहरा समुदाय के सदस्यों के साथ एक अद्भुत बैठक की ।
चित्र
दिल्ली सरकार के केन्द्रीय मंत्री मन्जिदर सिहं सिरसा ने विष्णु गार्डन का दौरा किया अधिकारीयो की लगाई कलास ।
चित्र
( विष्णु गार्डन ) कनिष्ट अभियन्ता अखलेश कुमार की सांठगांठ से विष्णु गार्डन में अवैध निर्माणो की वाढ आई ।
चित्र